माँ
क्या लिखुँ मैं माँ लिखुँ मैं , जो लिखूँ मैं माँ लिखुँ मैं
तेरी उँगली को पकड़ के जो चला हूँ,
ना थकां हूँ ना थमां हूँ
ना झुकां हूँ ना गिरां हूँ|
हाँ
माँ कहूँ मैं जब कहूँ मैं , माँ सुनूँ मैं जब क़ुछ सुनूँ मैं।
तू ख़ुदा हैं , तू दुआँ हैं,
तू सुक़ून है, तू दवा है |
हाँ
माँ पढ़ू मैं जब रब पढू मैं। माँ चुनूँ मैं जब क़ुछ चुनूँ मैं।
तेरी अज़मतो से सारी दुनिया रूबरू हैं
तेरी रग़बतो में बसा ख़ुदा का नूर हैं।
हाँ
माँ हूँ मैं नन्हाँ संग तेरे मैं, हूँ मैं तनहा बिन तेरे मै।
क़ुछ भी करु मैं तेरी ख़ातिर एक क़तरा भी नही है
सौं किताबें भी भरु मैं फ़िर भी सब अधूरा लगे है।
हाँ
दिल बता दो माँ सा दूसरा, गर मिला हो तुमको को कभी।
शर्त लेलो लौट आओ हाथ खाली आज भी।
हाँ
क्या लिखुँ मैं माँ लिखुँ मैं , जो लिखूँ मैं माँ लिखुँ मैं
माँ कहूँ मैं जब कहूँ मैं , माँ सुनूँ मैं जब क़ुछ सुनूँ मैं।